Wednesday, 12 July 2017

क्षत्रिय राजपूतो का इतिहास

राजपूत का मतलब

राजपूतो को तीन शब्दो मे प्रयोग किया जाता है
पहला '' राजपूत '' दूसरा "" क्षत्रिय '' तीसरा '' ठाकुर ,
Ranbanka
राजपूतों के लिये यह कहा जाता है कि वह केवल राजकुल में ही पैदा हुआ होगा,इसलिये ही राजपूत नाम चला,लेकिन राजा के कुल मे तो कितने ही लोग और जातियां पैदा हुई है सभी को राजपूत कहा जाता,यह राजपूत शब्द राजकुल मे पैदा होने से नही बल्कि राजा जैसा बाना रखने और राजा जैसा धर्म "सर्व जन हिताय,सर्व जन सुखाय" का रखने से राजपूत शब्द की उत्पत्ति हुयी। राजपूत को तीन शब्दों में प्रयोग किया जाता है,पहला "राजपूत",दूसरा "क्षत्रिय"और तीसरा "ठाकुर",आज इन शब्दों की भ्रान्तियों के कारण यह राजपूत समाज कभी कभी बहुत ही संकट में पड जाता है। राजपूत कहलाने से आज की सरकार और देश के लोग यह समझ बैठते है कि यह जाति बहुत ऊंची है और इसे जितना हो सके नीचा दिखाया जाना चाहिये,नीचा दिखाने के लिये लोग संविधान का सहारा ले बैठे है,संविधान भी उन लोगों के द्वारा लिखा गया है जिन्हे राजपूत जाति से कभी पाला नही पडा,राजपूताने के किसी आदमी से अगर संविधान बनवाया जाता तो शायद यह
छीछालेदर नही होती।

खूंख्वार बनाने के लिये राजनीति और समाज जिम्मेदार है

राजपूत कभी खूंख्वार नही था,उसे केवल रक्षा करनी आती थी,लेकिन समाज के तानो से और समाज की गिरती व्यवस्था को देखने के बाद राजपूत खूंख्वार होना शुरु हुआ है,राजपूत को अपशब्द पसंद नही है। वह कभी किसी भी प्रकार की दुर्वव्यवस्था को पसंद नही करता है।

शेर कुत्तों की लडाई
अक्सर जब शेर की ताकत क्षीण होने लगती है तो वह अपने को अपनी गुफ़ा के अन्दर समेट लेता है,वह जबरदस्ती में उसके शिकार पर अपना जीवन चलाने वाले कुत्तों के बीच में रहना पसंद नही करता है। कुत्तों की आदत होती है कि वे झुंड में रहकर अपना शिकार करते है,बडी बुरी तरह से शिकार को नोचते खाते है,उन्हे किसी भी तरह का दर्द नही होता है,जब वे किसी जबरदस्त के पास फ़ंस जाते है तो केवल अपनी पूंछ को हिलाने के अलावा और कुछ नही कर सकते है। कुत्ते अपना पेट मरे हुये जानवर की हड्डी के टुकडे से भी भर सकते है,लेकिन शेर को चाहिये होता है अपने ही द्वारा मारे गये जानवर का ताजा मांस वह किसी के मारे हुये जानवर को भी अपना भोजन नही बनाता है। उसे भूखा मरना पसंद है लेकिन वह किसी के मारे गये सडे मांस को कभी नही खायेगा,और किसी के द्वारा दिये गये सहानुभूति वाले भोजन को लेना तब तक पसंद नही करेगा जब तक कि उसे आदर पूर्वक भोजन नही दिया जाये। कुत्ते को भूख लगी होती है तो वह पूंछ हिलाकर आगे पीछे घूम कर अपने भोजन को लेने के चक्कर में रहता है,जब उसे किसी प्रकार से भोजन नही मिलता है तो वह चोरी से भोजन लेने की फ़िराक में रहता है,और जब उसे किसी तरह से भोजन नही मिलता है तो वह अपनी शक्ति को इकट्ठा करने के बाद खूंख्वार हो जाता है और फ़िर वह नही देखता है कि वह अपने मालिक को काट रहा है या अपने ही कुल को काट रहा है। शेर कितना ही भूखा होगा वह अपने मालिक को नही काटेगा,वह अपने कुल को नही काटेगा,अपने को एकान्त मे लाकर पटक देगा और वहीं मर बेसक जायेगा,लेकिन किसी भी तरह से अपमान का भोजन ग्रहण नही करेगा।

 राजपूत कहलाने से आज की सरकार और देश के लोग यह समझ बैठते है कि यह जाति बहुत ऊची है और इसे जितना हो सके इसे नीचा दिखाना चाहिये ।
राजपूत को नीचा दिखाने के लिये लोग संविधान का सहारा ले बैठे है , और संविधान भी उन लोगो के द्वारा लिखा गया है , जिनको कभी राजपूत जाति से पाला नही पडा है , राजपूताना के किसी आदमी से अगर यह संविधान बनवाया जाता , तो शायद आज यह छीछालेदर नही होती ।
राजपूतो को खूंखार बनाने के लिये राजनीति और यह समाज जिम्मेदार है , राजपूत कभी खूंखार नही था , उसे केवल रक्षा करनी आती थी , लेकिन समाज के तानो से और समाज की गिरती व्यवस्था को देखने के बाद राजपूत खूंखार होना शुरू हुआ है । राजपूतो को अपशब्द पसंद नही है , वह कभी भी किसी पर अत्याचार होता हुआ देखना पसंद नही करता है ।।

जिसकी तलवार की खनक से अकबर का दिल घबराता था ।
वो अजर अमर शूरबीर महाराणा प्रताप कहलाता था ।।


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